प्रदोष व वृषभ काल में दीवाली पूजन अत्यंत शुभ

  • आज मनेगी दीवाली, प्रदोष व वृषभ काल में पूजन अत्यंत शुभ
  • शुभ मुहुर्त में पूजन से मां लक्ष्मी की होगी कृपा
  • घरों में की गई साज सजावट, बाजार में दिखी चहल पहल

मंडला महावीर न्यूज 29. दीपों का पर्व दीपावली कार्तिक अमावस्या आज मनाई जाएगी। धन और सौभाग्य की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी को प्रसन्न करने का यह खास दिवस है। प्रदोष काल में स्थिर लग्न में मां महालक्ष्मी की पूजा अतिफलदायी मानी जाती है। श्रद्धालु शुभ के देवता गणेश, लाभ की देवी महालक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा-अर्चना करेंगे। मां लक्ष्मी के स्वागत के लिए हर तबका अपनी-अपनी तैयारी कर रहा है। मां को प्रसन्न करने के लिए हर तरह के जतन किए जा रहे हैं। घरों की साफ-सफाई के साथ आसपास में भी सफाई हो रही है। घरों की खास सजावट की तैयारी है।

दीपावली पर दीपक पूजन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजा से पहले कलश, भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र, कुबेर और देवी सरस्वती की पूजा की परंपरा है। पंडित नीलू महाराज ने बताया कि इस बार दीवाली पर्व में पूजन के दो शुभ मुहूर्त बन रहे है। जिसमें प्रदोष काल व वृषभ काल है। ये दोनो मुहूर्त अत्यंत शुभ माने जाते है। इस दिन की गई पूजा का शुभ फल जल्दी ही मिलेगा। भागवत भूषण आचार्य दिवाकर चौबे ने बताया कि धार्मिक मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर लक्ष्मी व्यक्ति के पास ही निवास करती हैं। ब्रह्मपुराण के अनुसार आधी रात तक रहने वाली अमावस्या तिथि ही महालक्ष्मी पूजन के लिए श्रेष्ठ होती है। अमावस्या आधी रात तक नहीं होती है तब प्रदोष व्यापिनी तिथि लेनी चाहिए। लक्ष्मी पूजा व दीप दानादि के लिए प्रदोषकाल ही विशेष शुभ माने गए हैं।

02 नवंबर को गोवर्धन पूजा 

पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 01 नवंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट से होगी। जिसका समापन 02 नवंबर को रात 08 बजकर 21 मिनट पर होगा। जिसके कारण गोवर्धन पूजा का त्योहार 02 नवंबर को मनाया जाएगा। शास्त्री जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण की प्रसन्नता के लिए 56 प्रकार के पकवान बनाकर भगवान श्री कृष्ण एवं गिरि राज की पूजा की जाती है। इसी तिथि को विश्वकर्मा दिवस भी मनाया जाता है। जितने भी कारीगर लोग हैं श्रृद्धाभाव से अपने औजारों की पूजा करते हैं।

भैया दूज 03 नवंबर को 

कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष 03 नवंबर को भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। बहुत दिनों के बाद यमराज अपनी बहन यमुना जी को मिलने के लिए आए थे। तब से भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। बहनें अपने भाई की मंगल कामना के लिए उन्हें तिलक करती हैं। भाई बहनों को उपहार देते हैं।

पुरातन काल से दीवाली की परंपरा

पंडित विजयानंद शास्त्री ने बताया कि रामायण और महाभारत काल से ही देश में दीपावली की परंपरा है। मान्यता है कि भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास से वापस अयोध्या लौटने और पांडवों के 13 वर्ष के वनवास-अज्ञातवास से लौटने पर लोगों ने दीप जलाकर अपनी खुशी का इजहार किया था। स्कंध पुराण,विष्णु पुराण के मुताबिक भगवान विष्णु और श्री लक्ष्मी के विवाह के उपलक्ष्य में दीपावली मनायी जाती है।

रात्रि जागरण और चौपड़ खेलने की परंपरा

दीपावली की रात जागरण करने और चौपड़ (जुआ) खेलने की भी परंपरा है। बताया गया कि रात में चौपड़ खेलने से महालक्ष्मी का चलन योग बनता है। जिससे व्यापार का आदान-प्रदान और कर्ज की वापसी तुरंत हो जाती है। कौड़ी और कमलगट्टे से भी चौपड़ खेलने की परंपरा है। इससे धनवर्षा योग बनता है। व्यवसायी अपने प्रतिष्ठान में रात्रि जागरण और चौपड़ खेलते हैं। रात में दुकान आदि खुले रहने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

हर ग्राहक के लिये कुछ खास है बाजार में 

दीपावली को ध्यान मेंं रखते हुुए दुकानदारों ने हर प्रकार से तैयारी कर रखी हैै। हर ग्राहकोंं केे लिए इन व्यापारियोंं ने कुुछ खास रखा हैै। दीपावली केेएक दिन पूर्व बाजार में खासी रौनक दिखाई दी, बड़़ी संख्या मेंं लोग खरीददारी करने बाजार पहुंचे। अपनी इच्छानुसार सभी बाजार से कुुछ न कुुछ खरीदते हुए दिखे। व्यापारी धनतेेरस केेबाद अब दीपावली मेंं ग्राहकोंं को लुभाने तरह-तरह केे जतन कर रहेे है। दुकानोंं की आक र्षक साज-सज्जा की गई है। व्यापारी चमकदार शो रूम केेसाथ-साथ फुटपाथ में उतरकर अपने प्रोडक्ट का प्रचार कर रहेे है। ग्राहकोंं को आकर्षित करने खूब तैयारियांं की। हर किस्म और बजट की वस्तुएं बाजार में उपलब्ध हैै ग्राहकोंं केे समक्ष कई विकल्प रखे गये है। प्रतिस्पर्धा केे इस दौर मेंं ग्रामीण व्यापारी भी पीछेे नहींं है, उदय चौक, कमानिया गेट, सुपर मार्र्केेट मेंं मिट्ï्ïटी की मूर्तियां, दिये, लाई, टोकनी पूजा की सामग्री की दुकानेंं सजी हैै, हर तरफ चकाचौध हैै।

रंगोली से मिलती है लक्ष्मी की कृपा 

दीपावली जैसे शुभ अवसर पर तो घर-आंगन एवं प्रवेश द्वारों के साथ-साथ लक्ष्मी-पूजन स्थल पर भी रंगोली सुसज्जित करने का अलग ही आनंद है। रंगोली सजाने का मुख्य भाव यही रहता है कि घर पर लक्ष्मी की कृपा हो, घर-आंगन सुख, समृद्धि एवं वैभव से भरा रहे, भंडार पूर्ण रहे। रंगोली या मांडना हमारी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति की समृद्धि के प्रतीक हैं, इसलिए चौंसठ कलाओं में मांडना को भी स्थान प्राप्त है। रंगोली को आध्यात्मिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है। तभी तो विभिन्ना हवनों एवं यज्ञों में वेदी का निर्माण करते समय भी मांडने बनाए जाते हैं। विवाह मंडपों में भी मांडने बनाना हमारी संस्कृति की परंपरा रही है। पूजा-पाठ और शुभ-अवसरों पर फर्श तथा दीवारों की रंगारंग सज्जा करने से हृदय में कल्याणकारी भावनाएं प्रस्फुटित होती हैं तथा उत्सव का सा माहौल तैयार हो जाता है।

अलग-अलग नामों से प्रचलित

हमारे देश में लगभग सभी प्रांतों में मांडना-कला प्रचलित है, परंतु इसे हर क्षेत्र में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। मध्यप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात में रंगोली, आंध्रप्रदेश में मुग्गुल, तमिलनाडु में कोलम, हिमाचल प्रदेश में अदूपना, बंगाल में अल्पना, राजस्थान में मांडणा, बिहार में ऐपन तथा उत्तरप्रदेश में चौक-पूरना कहते हैं। चाहे जिस नाम से भी पुकारा जाए परंतु विभिन्न त्योहारों पर रंग-बिरंगे, लुभावने मांडनों से सजे-संवेरे घर-आंगन लोककला की पराकाष्ठा को दर्शाते हैं। मांडने सिर्फ लोक-कला ही नहीं अपितु नारी हृदय की भावनाओं की सशक्त अभिव्यक्ति भी हैं तभी तो अशिक्षित ग्रामीण महिलाओं के सधे हुए हाथ तथा चित्ताकर्षक रंग-संयोजन किसी को भी चकित कर देते हैं।

गणेश लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त 

पंडित नीलू महाराज ने बताया कि आज 31 अक्टूबर को दिवाली मनाई जाएगी। आज प्रदोष काल व वृषभ काल पूजन के दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रदोष काल व वृषभ काल में दिवाली पूजन या लक्ष्मी पूजन करना अत्यंत शुभ माना गया है। प्रदोष काल शाम 5 बजकर 36 मिनट से रात 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। वृषभ काल शाम 6 बजकर 20 मिनट से रात 8 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। इस दौरान ही लक्ष्मी पूजन किया जा सकेगा। इसके साथ ही दिवाली पर लक्ष्मी पूजन के लिए एक अन्य मुहूर्त भी है। लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 36 मिनट से शाम 6 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। लक्ष्मी पूजन की कुल अवधि 41 मिनट की है।


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