1200 किमी की साईकिल यात्रा पर निकले पिता-पुत्र

  • 1200 किमी की साईकिल यात्रा पर निकले पिता-पुत्र
  • दिल्ली से शुरू साइकिल यात्रा छत्तीसगढ़ दुर्ग में होगी समाप्त
  • साइकिलिंग का संदेश देने पिता-पुत्र की साइकिल यात्रा
  • दिनचर्या में साइकिल को शामिल करने कर रहे प्रेरित
  • दिल्ली के अंदर कर चुके चार हजार किलोमीटर से अधिक साइकिलिंग

मंडला महावीर न्यूज 29. कुछ कर गुजरने का जुनून एक दिन अपनी मंजिल तक पहुंचा ही देता है, ऐसे ही दो जुनूनी पिता-पुत्र 12 सौ किलोमीटर की साईकिल यात्रा पर दिल्ली से निकले है। इनका जुनून नाम, पैसा और शोहरत कमाना नहीं हैं। इनका मानना है कि हर इंसान की अलग अलग सोच होती हैं, उसी सोच से वह अपनी मंजिल तय कर वहां तक पहुंचता है। हर किसी को घूमने का शौक रहता है, कोई शौकिया तौर पर घूमने निकलते हैं तो, कोई धार्मिक यात्रा करता है, तो कोई सामाजिक चेतना जगाने के लिए यात्रा करता हैं। लेकिन ये पिता पुत्र साइकिल को अपनी दिनचर्या में शामिल करने का संदेश देने साइकिल यात्रा पर निकले हैं।

साईकिल का उपयोग अपनी दैनिक दिनचर्या में रखने, साईकिल प्रतिदिन चलाने और छोटी दूरी के लिए साईकिल का ही उपयोग करने के साथ कम दूरी के लिए मोटरसाईकिल और कार का उपयोग कम से कम करने की सोच लेकर पिता-पुत्र साइकिल यात्रा से साइकिलिंग का करने का संदेश दे रहे है। पिता-पुत्र की साइकिल यात्रा का उद्देश्य है कि साइकिल के उपयोग से पर्यावरण स्वच्छ रहेगा, क्योकि इससे प्रदूषण नियंत्रित होगा, जिससे हम स्वस्थ रहेंगे। 51 वर्षीय गेंद लाल साहू अपने जीवन के 30 साल देश की सुरक्षा में देने के बाद अपने जवान बेटे के साथ 12 सौ किलोमीटर की साइकिल यात्रा में निकले हैं। जिनका उद्देश्य लोगों को अपनी दिनचर्या में साइकिल को शामिल करने के लिए प्रेरित करना है।

बताया गया कि दुर्ग छत्तीसगढ़ निवासी 51 वर्षीय गेंद लाल साहू अपने 23 वर्षीय पुत्र ब्रज कुमार साहू के साथ दिल्ली से साइकिल यात्रा शुरू की है। दिल्ली से दुर्ग तक 12 सौ किलोमीटर की यात्रा का लक्ष्य निर्धारित किया है। शनिवार को जबलपुर के सीमा के नागा घाटी से साइकिल से निकले। दोपहर को माधोपुर पहुंचे। जहां उनकी साइकिल यात्रा के लगभग 950 किलोमीटर की यात्रा पूरी हुई और शेष बची यात्रा के लिए दोनो पिता-पुत्र आगे बढ़े।

साइकिल से होने वाले लाभ की दे रहे जानकारी :

ब्रजकुमार ने बताया कि पिता के साथ दिल्ली में रहते हैं। हाल में दुर्ग शिफ्ट हुए हैं। दिल्ली पहुंचने के बाद दिवाली के अवकाश के कारण कुछ अच्छा करने का मन किया। पिता जी के साथ चर्चा करने के बाद दिल्ली से अपने घर दुर्ग तक साइकिल से ही जाने का निश्चय किया गया। इस दौरान लोगों को साइकिल से होने वाले लाभ भी बता रहे हैं। ब्रजकुमार ने बताया कि कि साइकिल से पहली बार इतने लंबे सफर में निकले है।

18 अक्टूबर से शुरू की थी यात्रा 

उन्होंने बताया कि दिल्ली के अंदर उन्होंने चार हजार किलोमीटर से अधिक साइकिल चलाई है। दिल्ली से 18 अक्टूबर से यात्रा शुरू की थी। जिसमें मंडला तक 950 किलोमीटर यात्रा पूरी कर ली है। शनिवार की शाम तक छत्तीसगढ़ की सीमा पहुंच गए हैं। जहां रात्रि विश्राम कर आगे की यात्रा पूरी करेंगे। ब्रज कुमार के पिता 30 साल आर्मी में रहकर देश की सुरक्षा में योगदान दिए हैं।

लोगों को प्रेरित करने साईकिल यात्रा 

ब्रज कुमार का कहना है कि आज लोग फिट होने के लिए कार, बाइक से फिटनेस सेंटर तक जाते हैं। पर्यावरण प्रदूषण भी होता है। अगर हर रोज अपनी दिनचर्या में साइकिलिंग को शामिल कर लें तो पर्यावरण संरक्षण के साथ फीट भी हो सकते हैं। इसी उद्देश्य से 12 सौ किलोमीटर की यात्रा पर निकले हैं जिससे हमें लोग देखकर प्रतिदिन अपनी दिनचर्या में साइकिल का उपयोग करना शामिल कर सके। जिससे उनका यह उद्देश्य पूरा हो सके।


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