- जन्मजात बीमारी से बच्चों को मिलेगा नया जीवन
- ह्दय रोग से पीडि़त बच्चों का जांच परीक्षण 24 को
मंडला महावीर न्यूज 29. पीडि़त बच्चे निरोगी हो सके, इस उद्देश्य से आरबीएसके अंतर्गत 0 से 18 वर्ष तक के बच्चों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवाएं जिला शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र में दी जा रही है। बच्चे स्वस्थ होकर एक स्वस्थ्य समाज एवं उज्जवल भविष्य का निर्माण कर सके। इसी उद्देश्य से आरबीएसके अंतर्गत 24 अक्टूबर को जिला शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र जिला चिकित्सालय मंडला में ह्दय रोग से पीडि़त बच्चों का ईको जांच परीक्षण किया जाएगा।
सीएमएचओ डॉ. केसी सरोते ने बताया कि शिविर का आयोजन 24 अक्टूबर को सुबह 10.30 बजे से किया गया है। शिविर में आरबीएसके टीम द्वारा चयनित बच्चों के अलावा जिनका पंजीयन नहीं हुआ है। उन बच्चों का पंजीयन भी किया जाएगा। जिससे उन बच्चों को भी इसका लाभ मिल सकेगा। शिविर में हृदय रोग विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा बच्चों की जांच परीक्षण किया जाएगा।
ह्दय रोग से पीडि़त बच्चों की होगी ईको जांच
बताया गया कि 24 अक्टूबर को जिला चिकित्सालय स्थित जिला शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र मंडला में सुबह 10.30 बजे से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत ह्दय रोग से पीडि़त बच्चों का नि:शुल्क जांच परीक्षण मैट्रो हॉस्पिटल जबलपुर द्वारा किया जाएगा। सीएमएचओ डॉ. केसी सरोते ने ऐसे ह्दय रोग से पीडि़त बच्चों को शिविर में आकर लाभ लेने की अपील की है। शिविर में परीक्षण के बाद चिन्हित बच्चों को शल्य चिकित्सा के लिए नि:शुल्क भेजा जाएगा। शिविर के पहले आरबीएसके टीम द्वारा ह्दय रोग से पीडि़त बच्चों को चिन्हित किया जा रहा है।
ह्दय रोग से पीडि़त बच्चों को मिलेगा लाभ
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत 0 से 18 वर्ष के ह्दय रोग से पीडि़त बच्चों को आरबीएसके के तहत जांच परीक्षण कर सर्जरी कराई जाएगी। शिविर में हर वर्ग के पीडि़त बच्चों की जांच परीक्षण कर नि:शुल्क शल्य चिकित्सा के लिए चयनित किया जाएगा। जिनका नि:शुल्क उपचार चिन्हित चिकित्सालय में किया जाएगा।
बच्चों में ह्दय रोग की पहचान
आरबीएसके प्रबंधक अर्जुन सिंह ने बताया कि अब बच्चे भी हृदय रोग से अछूते नहीं रहे। आम तौर पर बच्चों में होने वाले हृदय रोगों को पहचानना कठिन होता है क्योंकि इसके लक्षण बहुत सामान्य होते है। माता-पिता भी बच्चों में हृदय रोगों के लक्षणों की पहचान नहीं कर पाते और समय पर इसकी पहचान नहीं होने के कारण ये रोग गंभीर हो जाते है। अनदेखी के कारण ही ये बीमारियां जीवन के लिए भी खतरा बन जाती है। ह्दय रोग से पीडि़त बच्चों की पहचान बच्चों में बार बार बुखार आना, सांस लेने में तकलीफ, कमजोरी या थकान, होंठ नीले पड़ जाना, एक पैर में सूजन, दिल की धडकन की ताल में परिवर्तन, लगातार या सूखी खांसी, त्वचा पर चकत्ते, अंगुलियां के सिरे मोटे हो जाना ह्दय रोग से पीडि़त की पहचान की जा सकती है।
जीवन के लिए हृदय प्रमुख
सिविल सर्जन डॉ विजय सिंह धुर्वे ने बताया कि जीवन के सुचारू रूप से संचालन के लिए ह्रदय प्रमुख है। हद्य का कार्य ऑक्सीजन व पोषण सामग्री युक्त रक्त को शरीर के प्रत्येक अंगों तक पहुंचाना, शरीर के विभिन्न अंगों से दूषित रक्त प्राप्त करना, रक्तचाप का संतुलन, फेफड़ों से ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करना व संतुलित हृदय की गति द्वारा रक्त प्रवाह को नियंत्रण करना होता है।
हृदय रोग के लक्षण
हृदय रोग के प्रमुख लक्षण सीने में दर्द या भारीपन, थकावट, चक्कर आना, धड़कन, सांस लेने में कठिनाई, धड़कन में अनियमितता, पैरों में सूजन, बच्चों में स्तनपान के दौरान सांस लेने में कठिनाई, चमड़ी का नीला पडऩा, वजन न बढऩा, बार-बार बुखार आना जैसी तकलीफें हो सकती हैं।