- 69 वर्षो से अनवरत जारी है रामलीला
- कई दशकों से चल रही है बिछिया नगर की रामलीला
- वर्षो से बनी हुई है दर्शकों के आकर्षण का केंद्र
- भुआ बिछिया नगर में प्रतिवर्ष होता है रामलीला का मंचन
- रामलीला के किरदार करते है अपने अभिनव से सभी को मंत्रमुग्ध
मंडला महावीर न्यूज 29. बिछिया नगर की ऐतिहासिक रामलीला 1955 से अनवरत 69 वर्षो से लगातार मां दुर्गा जी की स्थापना के साथ बालमीक और तुलसीकृत रामचरित मानस कृत रामलीला का मंचन प्रारंभ किया गया। जिसमे स्थानीय पत्रों द्वारा मानचित्र के आधार पर राधेश्याम रामायण की चौपाई, रामायण महानाटक की पुस्तकों के आधार पर किया जा रहा है। उस समय स्थानीय नागरिकों द्वारा तत्कालीन ग्राम पंचायत भवन के समक्ष पंडाल बनाकर दुर्गा प्रतिमा स्थापित की गई। उसी समय से लकड़ी का मंच बनाकर, लालटेन और मिट्टी तेल का मशाल से रोशनी की जाती थी। धीरे 1970 के दशक में बिजली आई और रामलीला का उत्साह लगातार बढ़ता गया और मंच बना।
जानकारी अनुसार पुराने समय में पूर्व स्थानीय नागरिकों द्वारा स्थानीय पत्रों का चयन कर रामचरितमानस पर लीला का मंचन प्रारंभ हुआ, इस मंच के पात्र आज प्रथम श्रेणी सहित अन्य सम्मान जनक बड़े पदों पर आसीन हैं, लेकिन उनकी भावनाएं आज भी मंचन होने वाली रामलीला से जुड़ी है। दूर-दूर सेवारत रामलीला के पूर्व पात्र प्रतिवर्ष रामलीला देखने बिछिया आते हैं।
उत्साह और जज्बे के करण जारी है रामलीला
विनोद रंगमंच समिति द्वारा संचालित रामलीला पर आयोजन महंगाई की मार दर्शकों का अभाव ने कलाकारों की कमी इस सब के बाद समिति से जुड़े कलाकारों से समर्पित रहने से रामलीला मैदान में मंचन जारी है। समिति के स्थाई सदस्य हैं जिसे वर्ष में एक बार मिलने वाले सहयोग से पूरा आयोजन संपन्न कराया जाता है। इनके माध्यम से प्रारंभ हुई रामलीला 69 वर्ष पूर्व जन्म रामलीला की शुरुआत हुई, तब तत्कालीन सरपंच बाबूलाल गुप्ता की अध्यक्षता नैनपुर निवासी महेश सोनी रामायणी की प्रेरणा और लालजी सोनी, राम कृपाल अग्रवाल, हीरालाल शिवहरे, देवी पिपरसनिया, शंकर लाल अग्रवाल सहित अन्य वरिष्ठ जनों के प्रयास से लालटेन की रोशनी में रामलीला की आधार शिला रखी गई।
रामलीला की विरासत को पीढ़ी दर पीढ़ी संजो रहे युवा
नगर की ऐतिहासिक रामलीला की बागडोर आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरण हस्तांतरित होती जा रही है और पुराने पात्रों के साथ नए पात्र काम कर रामलीला की श्रेष्ठता को बनाए रखा है। वर्तमान में पारस गोस्वामी, गणेश यादव की राम लखन की जोड़ी, दीपक ठाकुर सीता, शैलेश साहू रावण और हनुमान के पत्र के रूप में कपिल विश्वकर्मा का अभिनय दर्शकों को मंच से जोड़े रखने में कामयाब है। वर्षो से चल रही रामलीला में शशिकांत श्रीवास्तव, आनंद, राजेंद्र अग्रवाल, रावण दशरथ, राजेश विश्वकर्मा श्रीराम, गणेश यादव विभिन्न स्वरूपों में अपना किरदार निभा रहे हैं।
इन्होंने ने निभाए पूर्व में रामलीला के किरदार
प्रथम बार आयोजित रामलीला में राम की भूमिका चंद्र मोहन शर्मा, लक्ष्मण का सुदामा यादव, सीता का राकेश मिश्रा, रावण का लालजी सोनी, दशरथ का विद्यासागर गोस्वामी, जनक का रामकृपाल अग्रवाल ने अभिनय किया था, उसके बाद सन 1990 के पूर्व में आजाद चोबे राकेश गुप्ता, रामनारायण अवस्थी, मनोज गुप्ता, प्रदीप गर्ग, सुबोध गुप्ता, राम लक्ष्मण और रावण की भूमिका में मिलिंद माधव जोध, राजेंद्र ठाकुर श्रीकांत श्रीवास्तव मंगलदास टाडिया पात्रो के साथ इनका मेकप तुलाराम चौरसिया, राजेंद्र परिहार, डॉ वसीम खान, शेखर मोगरे द्वारा किया जाता था।
ये किरदार कर देते थे मंत्रमुग्ध
रामलीला के कुछ प्रसंग की प्रस्तुति की जोड़ी बहुत लोकप्रिय थी जिसमें बाली सुग्रीव में रामकृपाल अग्रवाल, शंकर लाल अग्रवाल, परशुराम लक्ष्मण संवाद में बृजेंद्र चौबे राकेश गुप्ता, बाणासुर के लिए देवी पिपरसनिया, हनुमान इंद्र नारायण शुक्ला, शैलेश गुप्ता, श्रीकांत श्रीवास्तव, राजेंद्र गुप्ता, शशि कांत श्रीवास्तव, दशरथ विद्यासागर गोस्वामी, मंचीय हास्य कलाकर जगन्नाथ श्रीवास, रामनारायण द्विवेदी पवन झरिया सहित अन्य पात्र अपनी प्रस्तुति से दर्शकों के मंत्र मुक्त कर देते थे।
इनका कहना है
रामलीला में राम के पात्र के रूप में अभिनय करने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ, लीला करने से जीवन में प्रेरणा मिली सरदार को आत्मसाहट किया है। रामलीला का अनवरत मंचन हमें रोमांचित कर देता है।
आजाद शेखर चौबे
मैंने कभी सोचा भी नहीं था की मुझे नगर की रामलीला के विशेष मंच मे रावण की भूमिका अदा करने का सौभाग्य मिलेगा इससे मुझे अच्छी प्रेरणा मिली।
मिलिंद माधव जोध
12-13 वर्ष की आयु में मंच से जुड़कर 40 वर्ष तक रामलीला के मंचन में मेनका तड़का श्रवण अहिरावण रावण दशरथ की भूमिका निभाकर में गोरांवित् हूँ।
मंगल दास टांडीया, शिक्षक
जिस भाव से नगर के पूर्वजों ने रामलीला का मंचन प्रारंभ किया था, उनकी भावना अनुरुप आयोजनों में नवीनतम स्वरूप देने समिति सदैव प्रत्यय प्रयत्नशील है।
शशिकांत श्रीवास्तव
अध्यक्ष रामलीला समिति बिछिया