- पितृ पक्ष के अंतिम दिन त्रिवेणी संगम में पितरों को किया जल अर्पित
- सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर पितरों को दी विदाई
- महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, नागपुर, बालाघाट समेत अन्य जिलों से पहुंचे लोग
मंडला महावीर न्यूज 29. पितृ पक्ष का समापन हो गया है, अब भक्त माँ दुर्गा की भक्ति में लीन हो जाएगे। पितृ पक्ष का आखिरी दिन पितृमोक्ष अमावस्या के साथ समाप्त हुआ। अंतिम दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु तपर्ण के लिए नर्मदा तट और संगम तट पहुंचे। सोमवार को त्रयोदशी श्राद्ध, मंगलवार को चतुदर्शी श्राद्ध किया गया। बुधवार को श्रद्धालुओं ने सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध किया। पितृ अमावस्या पर मंडला के उपनगर महाराजपुर में स्थित त्रिवेणी संगम घाट में सुबह से श्रृद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। संगम घाट में महाराष्ट्र छत्तीसगढ़, बैहर, बालाघाट समेत आसपास के अनेक जिलों से लोग संगम घाट पहुंचे। यहां सभी ने मां नर्मदा में आस्था की डुबकी लगाई।
बताया गया कि पितृ पक्ष में पितरों के मोक्ष के लिए श्रद्धालु नर्मदा स्नान कर पिंडदान और दान पुण्य करते हैं और जो श्राद्ध पक्ष में अपने पितरों को जल नहीं दे पाते है, वे पितृ अमावस्या के दिन नर्मदा में स्नान कर अपने पितरों को जल अर्पित कर सकते हैं। ऐसा करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। हिंदू धर्म के अनुसार पितृ पक्ष का प्रत्येक दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। पूर्वजों की मृत्यु की तिथि के आधार पर उनका श्राद्ध किया जाता है। यदि किसी को तिथि याद नहीं है, तो उसे सर्व पितृ अमावस्या के दिन विधि-विधान से पितरों का तर्पण करना चाहिए।
पं. सुधीर तिवारी ने बताया कि मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। वह प्रसन्न होकर अपने धाम वापस लौट जाते हैं। पितृ पक्ष का आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या होता है और सनातन धर्म में इसका विशेष महत्व माना गया है। इसके साथ ही मां नर्मदा में पिंडदान करने विशेष महत्व है।