आस्था का केन्द्र है माता सिंहवाहिनी मंदिर

  • आस्था का केन्द्र है माता सिंहवाहिनी मंदिर
  • श्रृद्धालुओं की होती है मनोकामना पूरी

मंडला महावीर न्यूज 29. सिंहवाहिनी मंदिर में माता की दो मूर्तियां है, जो कि काले पत्थर पर अंकित है। एक मॉ सिंहवाहिनी और दूसरी मॉ राजराजेश्वरी मां की। ऐसा कहा जाता है कि गौंड राजाओं के रघुवंशी बाजपेयी निजाम शाह के पुरोहित के रूप में नियुक्त किया गया था। दासी पुत्र महापाल सिंह को गद्दी पर बैठाया जाए, ऐसी उनकी इच्छा थी। राय बहादुर हीरा लाल ने इस घटना का विस्तृत वर्णन किया है। जब शाही फौज ने बाजपेयी के मकान को घेर लिया, तब बाजपेयियों ने देखा कि हमारा सर्वनाश तय है। तब उन्होंने दरवाजा बंद कर भगवान की मूर्ति जो कि इस घराने में थी।

उस मूर्ति को स्नान कराकर सकुटम्ब ने चरणामृत पीया और हर एक पुरूष ने अपनी स्त्री और बच्चों को तलवार से कत्ल कर दिया। इसमें जो पुरूष वर्ग बचा, उन्होंने शाही फौज का सामना कर उनसे लड़ा। इसमें लगभग 125 लोग स्वाहा हो गए। केवल दो बच्चे बचे जिन्हें नौकर ने बाहर खिलाने के लिए ले गया था। जिससे यह वंश चला। इस गाथा का वर्णन मंडला गजेटियर के पृष्ठ 101 में है। इस मंदिर में आने वाले श्रृद्धालुओं द्वारा जो भी मनोती मानी जाती है वह पूर्ण होती है, और मनोती के अनुसार भक्त प्रसाद, श्रृंगार और चढ़ावा चढ़ाते है।

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