- चुनौती से नहीं मानी हार, बदली अपनी जिंदगी
- ग्राम की अन्य महिलाओं के लिए शांति बनी प्रेरणा स्त्रोत
- पारंपरिक कृषि पद्धति को संरक्षित करने फसल प्रबंधन में बढ़ाए कदम
- अनाज खरीदी बिक्री सेवा केंद्र से सुधरी आर्थिक स्थिति
मंडला महावीर न्यूज 29. जमाना बदल रहा है, लोगों की सोच बदल रही है, इंसान चांद पर पहुंच चुका है, संसार में व्याप्त चुनौतियों का सामना करने में इंसान पीछे नहीं है। पुरूषों के साथ महिलाएं भी अब कमद से कमद मिलाकर चल रही है। हर क्षेत्र में महिलाएं पुरूषों से कम नहीं है। चाहे चांद की जमीन हो, किक्रेट हो, संगीत हो, कुश्ती हो, चाहे कोई भी बड़ा से बड़ा काम हो उसे करने में महिलाएं पीछे नहीं है। हम बात कर रहे है विकासखंड नारायणगंज के ग्राम देवहार निवासी शांति गौठरिया की। जिसने अपने मार्ग में आने वाली चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी जिंदगी ही बदल ली। गरीब परिस्थिति में रहने वाली शांति अपनी लगन और सूझबूझ से कामयाबी के मार्ग पर निकल पड़ी है।
जानकारी अनुसार आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से सिन्जेंटा फाउंडेशन और आजीविका मिशन की पहल से एसएचजी सदस्यों ने बेहतर कृषि प्रथाओं, अनाज खरीदी बिक्री के साथ इसकी तकनीकों और फसल तैयार होने के बाद इनके प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण लेकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने का पहला कदम आगे बढ़ाया। इन्हीं महिलाओं में ग्राम देवहार की शांति गौठरिया ने अपनी स्थानीय जलवायु और मिट्टी की स्थिति के अनुकूल जैविक सब्जियां, उच्च मूल्य वाली फसलें उगाना सीखी और इसके क्रियान्वयन की पहल की।
बिचौलियों का नहीं करना पड़ा सामना
शांति गौठरियां की सबसे बड़ी चुनौती अपने गाँव से दूर बाजारों तक अपनी पहुंच बनाना था, लेकिन किसी कार्य को करने की ठान ले तो कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है। शांति ने ठान लिया था और चुनौती के सामने खड़े हो गई। उसने एक सहकारी समिति के साथ साझेदारी की, जो छोटे पैमाने के किसानों को शहरी बाजार में जैविक उत्पाद और स्थानीय रूप से प्राप्त उत्पादों में रुचि रखने वाले खुदरा विक्रेताओं संपर्क हुआ। सहकारी समिति के माध्यम से माँ एसएचजी की महिलाओं और शांति को उन खरीदारों के नेटवर्क तक पहुंचने में सफलता मिल गई। जिससे शांति को बिचौलियों का सामना नहीं करना पड़ा। शांति का एक ऐसे नेटवर्क से संपर्क हो गया जो उसकी उपज की गुणवत्ता और प्रामाणिकता को महत्व देते थे।
विक्रय करने का मिला सीधा अवसर
शांति गौठरिया आज की चुनौतियों का सामना करते हुए अपनी कृषि पद्धतियों में सुधार लाई और अपनी उपज को उसके जैविक उत्पाद और टिकाऊ गुणों के लिए मान्यता मिली। एसएचजी सदस्यों और शांति को आस-पास के कस्बों और शहरों से थोक ऑर्डर मिलने लगे। शांति के साथ और अन्य महिलाएं बिचौलियों को दरकिनार कर अपने लिए उच्च आय सुनिश्चित करते हुए अपनी फसलों के लिए उचित कीमतों पर विक्रय करने का बेहतर अवसर सीधे प्राप्त हुआ।
इच्छा शक्ति से महिलाएं अपनी बढ़ा सकती है आय
ग्राम देवहार की शांति अब अतिरिक्त आय के साथ, एसएचजी महिलाओं ने भी अपनी उत्पादकता और गुणवत्ता को और अधिक बढ़ाने के लिए सिंचाई सुविधाओं, उन्नत बीजों और भंडारण बुनियादी ढांचे में निवेश करना सुनिश्चित किया। उन्होंने जैविक जैम, अचार और हर्बल चाय जैसे मूल्य वर्धित उत्पादों में भी विविधता लाई, जिससे उनकी कृषि उपज में मूल्य जोड़ा गया और विशिष्ट बाजारों तक पहुंच बनाई। बता दे कि शांति जैसी लगनशील और दृढ़ इच्छा रखने वाली महिलाएं अपने लक्ष्य को निशाना बनाकर उस तक पहुंच जाती है, उन्हें कोई भी चुनौती अपने लक्ष्य तक पहुंचने से नहीं रोक सकती है। शांति गौठरिया की कहानी अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है, जो कृषि क्षेत्र में काम कर रही आदिवासी महिलाओं को सशक्त बनाना सकती है। महिलाएं अपनी इच्छा शक्ति से अपनी आय बढ़ाकर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के साथ पारंपरिक कृषि पद्धतियों को संरक्षित कर सकती हैं।